स्वास्थ्य-चिकित्सा >> प्रकृति द्वारा स्वास्थ्य फल और फूल प्रकृति द्वारा स्वास्थ्य फल और फूलराजीव शर्मा
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फल और फूल के गुणों का वर्णन....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
प्रकृति हम सबको सदा स्वस्थ बनाए रखना चाहती हैं और इसके लिए प्रकृति ने
अनेक प्रकार के फल, फूल, साग, सब्जियां, जड़ी-बूटियाँ, अनाज,
दूध, दही, मसाले, शहद, जल एवं अन्य उपयोगी व गुणकारी वस्तुएँ
प्रदान
की हैं। इस उपयोगी पुस्तक माला में हमने इन्हीं उपयोगी वस्तुओं के गुणों
एवं उपयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की है। आशा है यह पुस्तक आपके
समस्त परिवार को सदा स्वस्थ बनाए रखने के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
प्रकृति ने हमारे शरीर-संरचना एवं स्वभाव को ध्यान में रखकर ही औषधीय गुणों से युक्त पदार्थ बनाए हैं। शरीर की भिन्न-भिन्न व्याधियों के लिए उपयोगी ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ, अमृततुल्य हैं।
इन्हीं अमृततुल्य पदार्थों जैसे तुलसी-अदरक, हल्दी, आँवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में जानकारी अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास है-यह पुस्तक।
प्रकृति ने हमारे शरीर-संरचना एवं स्वभाव को ध्यान में रखकर ही औषधीय गुणों से युक्त पदार्थ बनाए हैं। शरीर की भिन्न-भिन्न व्याधियों के लिए उपयोगी ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ, अमृततुल्य हैं।
इन्हीं अमृततुल्य पदार्थों जैसे तुलसी-अदरक, हल्दी, आँवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में जानकारी अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास है-यह पुस्तक।
प्रस्तावना
प्रकृति ने हमारे शरीर, गुण व स्वभाव को दृष्टिगत रखते हुए फल, सब्जी,
मसाले, द्रव्य आदि औषधीय गुणों से युक्त ‘‘घर के
वैद्यों’’ का भी उत्पादन किया है। शरीर की
भिन्न-भिन्न
व्याधियों के लिए उपयोगी ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ, अमृततुल्य हैं। ये
पदार्थ उपयोगी हैं, इस बात का प्रमाण प्राचीन आयुर्वेदिक व यूनानी ग्रंथों
में ही नहीं मिलता, वरन् आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी इनके गुणों का बखान
करता नहीं थकता। वैज्ञानिक शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि फल, सब्जी,
मेवे, मसाले, दूध, दही आदि पदार्थ विटामिन, खनिज व कार्बोहाइड्रेट जैसे
शरीर के लिए आवश्यक तत्त्वों का भंडार हैं। ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ
शरीर को निरोगी बनाए रखने में तो सहायक हैं ही, साथ ही रोगों को भी ठीक
करने में पूरी तरह सक्षम है।
तुलसी, अदरक, हल्दी, आँवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद, आम, विभिन्न सब्जियां मसाले व दूध, दही, शहद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास ‘मानव कल्याण’ व ‘सेवा भाव’ को ध्यान में रखकर किया गया है।
उम्मीद है, पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे।
सादर,
तुलसी, अदरक, हल्दी, आँवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद, आम, विभिन्न सब्जियां मसाले व दूध, दही, शहद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास ‘मानव कल्याण’ व ‘सेवा भाव’ को ध्यान में रखकर किया गया है।
उम्मीद है, पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे।
सादर,
-डॉ. राजीव शर्मा
आरोग्य ज्योति
320-322 टीचर्स कॉलोनी
बुलन्दरशहर, उ.प्र.
फलों के गुण और चिकित्सा
अनार
अनार पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला, पाचन-विकार को दूर करने वाला तथा प्यास
अधिक लगने की दशा में शान्ति देने वाला फल है। यह रक्त को शुद्ध करता है।
हृदय को शान्ति तथा यकृत को शक्ति देता है। अनार के कुछ औषधीय गुणों का
वर्णन यहां किया जा रहा है—
पेट दर्द
अनार के दानों में थोड़ा-सा सेंधा नमक तथा पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर खाने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। जिन लोगों के पेट में निरन्तर दर्द बना रहता है, उन्हें कुछ दिनों तक लगातार इस विधि से अनार के दानों का सेवन करना चाहिए। इससे भूख ठीक लगेगी तथा दर्द दूर हो जाएगा।
दाँतों से खून आना
यदि दांत और मसूड़ों से रक्त निकलता हो, तो अनार के फूलों को छाया में सुखाकर महीन पीस लें। फिर उसे सुबह-शाम मंजन की भाँति दांतों तथा मसूड़ों पर मलें। कुछ दिनों तक इस क्रिया को लगातार करते रहने से दांत तथा मसूड़ों से खून आना बन्द हो जाता है तथा हिलते हुए दांत भी मजबूत हो जाते हैं।
नेत्र रोग
अनार के रस को तांबे की कटोरी में भरकर आग पर चढ़ा दें। जब रक्त पककर गाढ़ा हो जाए, तब उसे किसी जस्ते के डिब्बे में भरकर रख लें। प्रतिदिन रात को सोते समय इस गाढ़े रस को सलाई द्वारा आँखों में लगाने से आँखों तथा पलकों की खुजली, पलकों के बालों का गिरना, आंखों की लाली आदि ‘नेत्र’ रोग दूर हो जाते हैं।
पीलिया
अनार के दानों का रस 50 ग्राम किसी लोहे के बर्तन में भरकर रात्रि के समय रख दें। प्रातः काल उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीएं, तो कुछ ही दिनों में पीलिया रोग दूर हो जाता है।
खांसी
अनार का छिलका 80 ग्राम और सेंधा नमक 10 ग्राम—दोनों को खूब महीन पीस कर कपड़छन कर लें तथा पानी के साथ मटर के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। प्रतिदिन तीन बार एक-एक गोली मुंह में डालकर चूसते रहे। इससे कुछ ही दिनों में खांसी दूर हो जाती है।
पेट दर्द
अनार के दानों में थोड़ा-सा सेंधा नमक तथा पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर खाने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। जिन लोगों के पेट में निरन्तर दर्द बना रहता है, उन्हें कुछ दिनों तक लगातार इस विधि से अनार के दानों का सेवन करना चाहिए। इससे भूख ठीक लगेगी तथा दर्द दूर हो जाएगा।
दाँतों से खून आना
यदि दांत और मसूड़ों से रक्त निकलता हो, तो अनार के फूलों को छाया में सुखाकर महीन पीस लें। फिर उसे सुबह-शाम मंजन की भाँति दांतों तथा मसूड़ों पर मलें। कुछ दिनों तक इस क्रिया को लगातार करते रहने से दांत तथा मसूड़ों से खून आना बन्द हो जाता है तथा हिलते हुए दांत भी मजबूत हो जाते हैं।
नेत्र रोग
अनार के रस को तांबे की कटोरी में भरकर आग पर चढ़ा दें। जब रक्त पककर गाढ़ा हो जाए, तब उसे किसी जस्ते के डिब्बे में भरकर रख लें। प्रतिदिन रात को सोते समय इस गाढ़े रस को सलाई द्वारा आँखों में लगाने से आँखों तथा पलकों की खुजली, पलकों के बालों का गिरना, आंखों की लाली आदि ‘नेत्र’ रोग दूर हो जाते हैं।
पीलिया
अनार के दानों का रस 50 ग्राम किसी लोहे के बर्तन में भरकर रात्रि के समय रख दें। प्रातः काल उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीएं, तो कुछ ही दिनों में पीलिया रोग दूर हो जाता है।
खांसी
अनार का छिलका 80 ग्राम और सेंधा नमक 10 ग्राम—दोनों को खूब महीन पीस कर कपड़छन कर लें तथा पानी के साथ मटर के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। प्रतिदिन तीन बार एक-एक गोली मुंह में डालकर चूसते रहे। इससे कुछ ही दिनों में खांसी दूर हो जाती है।
अमरूद
कच्चे तथा पके अमरूद की तरकारी बनाई जाती है। साथ ही पके हुए फलों को वैसे
भी खाया जाता है। अमरूद के बीजों में लोहा अधिक होता है। अतः अमरूद को
खाते समय उसके बीजों को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए। अमरूद पेट विकारों को
दूर करता है। साथ ही, यह रक्त तथा आंतों की शुद्धि भी करता है। इसके कुछ
औषधीय गुण निम्न लिखित हैं—
बवासीर का खून
अमरूद के 10 ग्राम छिलके और उसके पत्ते को 50 ग्राम पानी में रात भर पड़ा रहने दें। प्रातः काल इस पानी को आग पर इतना उबालें कि पांचवा भाग शेष रह जाए। उसे छानकर रोगी को पिला दें। इस प्रकार कुछ दिनों तक निरन्तर प्रयोग करने से बवासीर के मस्सों से खून आना बन्द हो जाता है।
कब्ज
दो-तीन अमरूदों को बीज सहित खाने से दूसरे दिन दस्त का साफ होता है। इससे पेट हल्का हो जाता है।
नशे को उतारना
भांग, चरस, गांजा, अफीम आदि का नशा उतारने के लिए अमरूद खाना चाहिए।
दांतों का रोग
अमरूद की छाल को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दातों में दर्द होने की, मसूड़ों से खून आने, दाँतों से दुर्गन्ध आने आदि की शिकायतें दूर होती हैं।
दन्त रोग
अमरूद के पत्तों को चबाकर सारे मुंह में उसका रस फैलने तथा कुछ देर बाद उसे थूक देने से दाँतों के अनेक प्रकार के रोग दूर होते हैं।
दिमागी गर्मी
एक अमरूद को पानी में डालकर रात भर रखा रहने दें। प्रातःकाल उसे खाली पेट धीरे-धीरे चबाकर खा लें। इससे दिमागी गर्मी भी शान्त होती है। पागल अथवा मस्तिष्क विकार के रोगी मनुष्य को अमरूद खिलाना हितकर होता है।
बवासीर का खून
अमरूद के 10 ग्राम छिलके और उसके पत्ते को 50 ग्राम पानी में रात भर पड़ा रहने दें। प्रातः काल इस पानी को आग पर इतना उबालें कि पांचवा भाग शेष रह जाए। उसे छानकर रोगी को पिला दें। इस प्रकार कुछ दिनों तक निरन्तर प्रयोग करने से बवासीर के मस्सों से खून आना बन्द हो जाता है।
कब्ज
दो-तीन अमरूदों को बीज सहित खाने से दूसरे दिन दस्त का साफ होता है। इससे पेट हल्का हो जाता है।
नशे को उतारना
भांग, चरस, गांजा, अफीम आदि का नशा उतारने के लिए अमरूद खाना चाहिए।
दांतों का रोग
अमरूद की छाल को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दातों में दर्द होने की, मसूड़ों से खून आने, दाँतों से दुर्गन्ध आने आदि की शिकायतें दूर होती हैं।
दन्त रोग
अमरूद के पत्तों को चबाकर सारे मुंह में उसका रस फैलने तथा कुछ देर बाद उसे थूक देने से दाँतों के अनेक प्रकार के रोग दूर होते हैं।
दिमागी गर्मी
एक अमरूद को पानी में डालकर रात भर रखा रहने दें। प्रातःकाल उसे खाली पेट धीरे-धीरे चबाकर खा लें। इससे दिमागी गर्मी भी शान्त होती है। पागल अथवा मस्तिष्क विकार के रोगी मनुष्य को अमरूद खिलाना हितकर होता है।
अंजीर
अंजीर को सूखे फल के रूप में खाया जाता है। यह खून की वृद्धि करता है,
शारीरिक सौन्दर्य को निखारता है तथा स्वास्थ्य की वृद्धि करता है। इसके
कुछ औषधीय लाभ निम्नलिखित हैं—
तिल्ली की सूजन
सूखे अंजीरों को सिरके में डालकर एक सप्ताह तक रखा रहने दें। तत्पश्चात् प्रतिदिन भोजन के बाद प्रातः तथा सायं उस सिरके में पड़े हुए दो-तीन अंजीरों का सेवन करें। इससे तिल्ली की सूजन घुल जाती है। कुछ दिनों तक नियमित प्रयोग करने से यह रोग दूर हो जाता है।
कब्ज
खाना खाने के बाद दो-तीन अंजीर के दाने खाने से कब्ज नहीं रहता है।
तिल्ली की सूजन
सूखे अंजीरों को सिरके में डालकर एक सप्ताह तक रखा रहने दें। तत्पश्चात् प्रतिदिन भोजन के बाद प्रातः तथा सायं उस सिरके में पड़े हुए दो-तीन अंजीरों का सेवन करें। इससे तिल्ली की सूजन घुल जाती है। कुछ दिनों तक नियमित प्रयोग करने से यह रोग दूर हो जाता है।
कब्ज
खाना खाने के बाद दो-तीन अंजीर के दाने खाने से कब्ज नहीं रहता है।
अंगूर
अंगूर रक्त-शोधक, बल-वर्द्धक, पौष्टिक तथा पाचक गुण से भरपूर होता है। यह
यकृत-विकार, पाण्डु रोग, रक्ताल्पता आदि रोगों में विशेष लाभदायक है। इसके
कुछ लाभों का वर्णन यहां किया जा रहा है—
बच्चों का कब्ज
एक चम्मच अंगूर का रस पिलाने से छोटे बच्चों का कब्ज दूर हो जाता है।
दांत निकलना
जिन बच्चों के दांत निकल रहे हों, उन्हें प्रातः-सायं अंगूरों का रस पिलाने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
गुर्दे का दर्द
अंगूर की बेल के पत्ते 20 ग्राम लेकर पानी में ठंडाई की तरह घोंट लें। फिर उसे कपड़े से छानकर रोगी को पिला दें। इससे गुर्दे का दर्द तुरन्त ठीक हो जाता है।
नकसीर
अंगूर के रस को नाक द्वारा सुंघाने से नकसीर से बहने वाला खून तुरन्त बन्द हो जाता है।
आंख दुखना
दुखती हुई आंखों में खट्टे अंगूर के रस की 2-2 बूंदें डालने से आंखें ठीक हो जाती हैं।
आंखों की खुजली
अंगूर के रस को आंच पर पकाकर गाढ़ा कर लें। फिर उस लेप को शीशी में भरकर रख लें। रात को सोते समय लेप को सलाई द्वारा आंखों में लगाने से आंखों की खुजली तथा पलकों से बाल गिरने की शिकायत दूर हो जाती है।
रक्तस्राव
जिन रोगियों के नाक, मुंह अथवा मूत्र भाग से रक्तस्राव होता हो उन्हें नियमित रूप से थोड़े-थोड़े अंगूर खिलाने पर लाभ होता है।
जीर्णस्वर
जीर्णस्वर अथवा क्षय रोग के रोगियों को अंगूर का रस पिलाते रहने से उनकी शक्ति का ह्रास नहीं हो पाता।
दिल की घबराहट
दिल की घबराहट वाले रोगी को अंगूर खिलाने तथा अंगूर का रस पिलाते रहने से यह बीमारी दूर हो जाती है।
बल-वृद्धि
जाड़े के दिनों में मुनक्का को दूध में उबालकर पीने से बल-वृद्धि होती है।
बच्चों का कब्ज
एक चम्मच अंगूर का रस पिलाने से छोटे बच्चों का कब्ज दूर हो जाता है।
दांत निकलना
जिन बच्चों के दांत निकल रहे हों, उन्हें प्रातः-सायं अंगूरों का रस पिलाने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
गुर्दे का दर्द
अंगूर की बेल के पत्ते 20 ग्राम लेकर पानी में ठंडाई की तरह घोंट लें। फिर उसे कपड़े से छानकर रोगी को पिला दें। इससे गुर्दे का दर्द तुरन्त ठीक हो जाता है।
नकसीर
अंगूर के रस को नाक द्वारा सुंघाने से नकसीर से बहने वाला खून तुरन्त बन्द हो जाता है।
आंख दुखना
दुखती हुई आंखों में खट्टे अंगूर के रस की 2-2 बूंदें डालने से आंखें ठीक हो जाती हैं।
आंखों की खुजली
अंगूर के रस को आंच पर पकाकर गाढ़ा कर लें। फिर उस लेप को शीशी में भरकर रख लें। रात को सोते समय लेप को सलाई द्वारा आंखों में लगाने से आंखों की खुजली तथा पलकों से बाल गिरने की शिकायत दूर हो जाती है।
रक्तस्राव
जिन रोगियों के नाक, मुंह अथवा मूत्र भाग से रक्तस्राव होता हो उन्हें नियमित रूप से थोड़े-थोड़े अंगूर खिलाने पर लाभ होता है।
जीर्णस्वर
जीर्णस्वर अथवा क्षय रोग के रोगियों को अंगूर का रस पिलाते रहने से उनकी शक्ति का ह्रास नहीं हो पाता।
दिल की घबराहट
दिल की घबराहट वाले रोगी को अंगूर खिलाने तथा अंगूर का रस पिलाते रहने से यह बीमारी दूर हो जाती है।
बल-वृद्धि
जाड़े के दिनों में मुनक्का को दूध में उबालकर पीने से बल-वृद्धि होती है।
अनन्नास
अनन्नास के फल को काटकर भी खाया जाता है और इसका रस निकालकर पिया जाता है।
इसके औषधीय गुण निम्नलिखित हैं—
अजीर्ण
अनन्नास के फल को छीलकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर उनपर पिसी हुई काली मिर्च तथा सेंधा नमक बुरक कर खाएं, तो अजीर्ण की शिकायत दूर हो जाती है।
पेट के कीड़े
छुआरा, अजवायन तथा डायबिडंग—तीनों वस्तुओं को समभाग लेकर चूर्ण बना लें। 6 ग्राम चूर्ण में थोड़ा-सा शहद मिलाकर अनन्नास के रस के साथ में दो बार पिलाएं, तो दो-तीन दिनों में ही बच्चों के पेट के सभी कीड़े मर जाएंगे।
सूजन
शरीर में सूजन आ जाने पर अनन्नास का एक पूरा फल प्रतिदिन खिलाने से आठ-दस दिन में ही सूजन कम होने लगता है तथा पन्द्रह-बीस दिनों में पूर्ण लाभ हो जाता है।
पेशाब अधिक आना
अनन्नास के रस में जीरा, पीपल, जायफल तथा काला नमक का समभाग चूर्ण थोड़ा-सा मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से कुछ ही दिनों में पेशाब के अधिक आने की शिकायत दूर हो जाती है।
बेचैनी
गर्मी के कारण बेचैनी तथा प्यास की अधिकता होने पर अनन्नास का रस पीने से लाभ होता है। इससे बेचैनी दूर हो जाती तथा प्यास बुझ जाती है। पेशाब खूब खुलकर आती है। गर्मी शान्त होती है। यदि किसी व्यक्ति को पथरी की शिकायत हो, तो उसे भी इस रस का प्रतिदिन सेवन करने से लाभ होता है।
बवासीर
अनन्नास के गूदे को महीन पीसकर बवासीर के मस्सों पर बांधने से बवासीर के रोग को लाभ होता है।
आंखो की सूजन
अनन्नास के गूदे को महीन पीसकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन दूर होती है।
अजीर्ण
अनन्नास के फल को छीलकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। फिर उनपर पिसी हुई काली मिर्च तथा सेंधा नमक बुरक कर खाएं, तो अजीर्ण की शिकायत दूर हो जाती है।
पेट के कीड़े
छुआरा, अजवायन तथा डायबिडंग—तीनों वस्तुओं को समभाग लेकर चूर्ण बना लें। 6 ग्राम चूर्ण में थोड़ा-सा शहद मिलाकर अनन्नास के रस के साथ में दो बार पिलाएं, तो दो-तीन दिनों में ही बच्चों के पेट के सभी कीड़े मर जाएंगे।
सूजन
शरीर में सूजन आ जाने पर अनन्नास का एक पूरा फल प्रतिदिन खिलाने से आठ-दस दिन में ही सूजन कम होने लगता है तथा पन्द्रह-बीस दिनों में पूर्ण लाभ हो जाता है।
पेशाब अधिक आना
अनन्नास के रस में जीरा, पीपल, जायफल तथा काला नमक का समभाग चूर्ण थोड़ा-सा मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से कुछ ही दिनों में पेशाब के अधिक आने की शिकायत दूर हो जाती है।
बेचैनी
गर्मी के कारण बेचैनी तथा प्यास की अधिकता होने पर अनन्नास का रस पीने से लाभ होता है। इससे बेचैनी दूर हो जाती तथा प्यास बुझ जाती है। पेशाब खूब खुलकर आती है। गर्मी शान्त होती है। यदि किसी व्यक्ति को पथरी की शिकायत हो, तो उसे भी इस रस का प्रतिदिन सेवन करने से लाभ होता है।
बवासीर
अनन्नास के गूदे को महीन पीसकर बवासीर के मस्सों पर बांधने से बवासीर के रोग को लाभ होता है।
आंखो की सूजन
अनन्नास के गूदे को महीन पीसकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन दूर होती है।
आम
आप को फलों का राजा कहा जाता है। यह कच्चा तथा पका दोनों तरह से खाया जाता
है। ये दोनों ही प्रकार के आम के फल औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। यहां
आम के कुछ लाभों को वर्णन किया जा रहा है—
रक्त-विकार
पके हुए मीठे देशी आमों के एक पाव रस में आधा पाव (गाय का) ताजा दूध 10 ग्राम, शुद्ध घी, 10 ग्राम अदरक का रस तथा थोड़ा-सी देशी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीएं। आमों को पूरी फसल भर (दो –ढाई महीने तक) इसी प्रकार से पीते रहने से खून की खराबी दूर हो जाती है तथा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
पथरी
आम के नये पत्तों को छाया में सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें। 6 ग्राम चूर्ण को बासी पानी के साथ प्रतिदिन प्रातःकाल निराहारमुख पीएं। निरन्तर कुछ दिनों तक इसका सेवन करते रहने से पथरी का रोग दूर हो जाता है।
लू लगना
कच्चे आम को आग में रखकर पका लेतें। फिर उसकी राख आदि को झाड़कर गूदा निकालकर पानी में घोल लें। फिर बाद में उसमें आवश्यकतानुसार खांड अथवा मिश्री, भुना हुआ जीरा और नमक मिलाकर सेवन करें। यदि थोड़ा-सा अर्क केवड़ा भी डाल लें तो अधिक अच्छा रहता है। इसे आम का पना भी कहते हैं। इसे पीने से लू लगने की तकलीफ दूर हो जाती है।
दस्त
आम के पेड़ की सूखी छाल को पानी में उबाल लें। फिर उसे छानकर तथा ठंडा करके रोगी को पिलाएं। इससे दस्त में लाभ होता है। श्वेत प्रदर, पेचिश, बवासीर का खून अथवा माहवारी का अधिक खून आना आदि रोगों में भी यह काढ़ा लाभदायक होता है।
श्वेत प्रदर
आम के बौर को छाया में सुखाकर कूट-छानकर रख लें। फिर उसमें समभाग देशी खांड मिलाकर 7.7 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम दूध अथवा पानी के साथ रोगी को सेवन कराएं। इसका कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करने से स्त्रियों के श्वेत प्रदर (सफेद पानी आना) तथा पुरुषों के प्रमेह रोग में लाभ होता है।
रक्त स्त्राव
आम की कोंपलों (नये पत्तों) को पानी में पीस-छानकर पिलाने से दस्त के साथ आने वाला खून बन्द हो जाता है।
रक्त-विकार
पके हुए मीठे देशी आमों के एक पाव रस में आधा पाव (गाय का) ताजा दूध 10 ग्राम, शुद्ध घी, 10 ग्राम अदरक का रस तथा थोड़ा-सी देशी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीएं। आमों को पूरी फसल भर (दो –ढाई महीने तक) इसी प्रकार से पीते रहने से खून की खराबी दूर हो जाती है तथा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
पथरी
आम के नये पत्तों को छाया में सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें। 6 ग्राम चूर्ण को बासी पानी के साथ प्रतिदिन प्रातःकाल निराहारमुख पीएं। निरन्तर कुछ दिनों तक इसका सेवन करते रहने से पथरी का रोग दूर हो जाता है।
लू लगना
कच्चे आम को आग में रखकर पका लेतें। फिर उसकी राख आदि को झाड़कर गूदा निकालकर पानी में घोल लें। फिर बाद में उसमें आवश्यकतानुसार खांड अथवा मिश्री, भुना हुआ जीरा और नमक मिलाकर सेवन करें। यदि थोड़ा-सा अर्क केवड़ा भी डाल लें तो अधिक अच्छा रहता है। इसे आम का पना भी कहते हैं। इसे पीने से लू लगने की तकलीफ दूर हो जाती है।
दस्त
आम के पेड़ की सूखी छाल को पानी में उबाल लें। फिर उसे छानकर तथा ठंडा करके रोगी को पिलाएं। इससे दस्त में लाभ होता है। श्वेत प्रदर, पेचिश, बवासीर का खून अथवा माहवारी का अधिक खून आना आदि रोगों में भी यह काढ़ा लाभदायक होता है।
श्वेत प्रदर
आम के बौर को छाया में सुखाकर कूट-छानकर रख लें। फिर उसमें समभाग देशी खांड मिलाकर 7.7 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम दूध अथवा पानी के साथ रोगी को सेवन कराएं। इसका कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करने से स्त्रियों के श्वेत प्रदर (सफेद पानी आना) तथा पुरुषों के प्रमेह रोग में लाभ होता है।
रक्त स्त्राव
आम की कोंपलों (नये पत्तों) को पानी में पीस-छानकर पिलाने से दस्त के साथ आने वाला खून बन्द हो जाता है।
आंवला
आंवले को भी अमृत की उपमा दी गई है। यह त्रिफला के तीन फलों में से एक
मुख्य फल है। यह पाचक, रक्तशोधक, कफ एवं कास नाशक तथा बवासीर, प्रमेह,
मूत्र-रोग, वमन, खुश्की, हृदयरोग आदि में लाभ पहुँचाता है। आंवले के कुछ
गुणों का वर्णन यहां किया जा रहा है—
पेशाब की जलन
ताजे आंवलों का रस 50 ग्राम तथा शहद 25 ग्राम दोनों मिलाकर दिन में दो बाद दो-दो घंटे के अन्तर से रोगी को पिला दें। इससे पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब खुलकर आता है।
पेशाब की जलन
ताजे आंवलों का रस 50 ग्राम तथा शहद 25 ग्राम दोनों मिलाकर दिन में दो बाद दो-दो घंटे के अन्तर से रोगी को पिला दें। इससे पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब खुलकर आता है।
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